संवर्ग - फ्लोरोक्वीनोलोन। यह अत्यधिक प्रभावशाली जीवाणु नाशक क्विनोलोन है। उपयोग - विषम ज्वर (typhoid),मूत्र मार्गसंक्रमण (UTI), गोनोरिया, गैस्ट्रो एंट्राइटिस,घाव,स्त्री रोग से संबंधित संक्रमण, हड्डी व कोमल ऊतकों का संक्रमण , श्वसन संक्रमण में अन्य प्रतिजीवाणु के साथ इसे दिया जाता है। सैप्टिक ग्राम निगेटिव सैप्टिसिमिया में सिफेलोस्पोरिन के साथ इसे दिया जाता है। मस्तिष्क ज्वर, रोगरोधक चिकित्सा, कैंसर, ल्यूकोपीनिया और अन्य में जहां रोग रोधक क्षमता कम हो। निषेध - दो साल से कम आयु के बच्चों मे, गर्भावस्था, दुग्धावस्था, हाइपरसेंसिटिविटी। मात्रा - वयस्क -250mg-500mg दो बार नित्य। बच्चे -5mg-15mg/kg Inj. वयस्क -200mg-400mg दो बार बच्चे -5mg-10mg/kg विशेष सावधानी- बच्चों में यह औषधि तभी देना चाहिए जब उससे होने वाले लाभ औषधि के दुष्प्रभाव से बहुत अधिक हो। इसके अतिरिक्त वृक्क विकार,मिर्गी का प्रमाण, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार, 60वर्ष से ऊपर बहुत सावधानी के साथ दे। दुष्प्रभाव - मितली,पेट दर्द, सिर चकराना,सिर दर्द, कम्पन, उलझन, मिर्गी, फुंसी, दृष्टि धूमिलता, जोड़ों में दर्द, मस्तिष्क क