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Showing posts from May, 2022

चित्रकादि चूर्ण के फायदे

 मात्रा- 3माशा-6माशा गुण और उपयोग - इस चूर्ण के सेवन से सर्वांग शूल, उदरशूल,सफेद आमांश, अरुचि, मंदाग्नि,पेट में वायु का इकट्ठा होना, संग्रहणी, गुल्म, प्लीहा,आदि रोग नष्ट हो जाते हैं। यह दीपन,पाचन, अग्निवर्धक है। आमवात, मंदाग्नि,और उदरशूल में विशेष गुणकारी है। सुबह-शाम आवश्यकता होने पर भोजन के बाद भी गर्म जल से या छाछ के साथ देना चाहिए।                       डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

अश्वगंधारिष्टा के फायदे

 मात्रा-15ml-30ml उपयोग - इसके सेवन से मुर्क्षा, स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग,दिल की धड़कन, बेचैनी, चित्त की घबड़ाहट,चित्त भ्रम, यादाश्त की कमी, बहुमूत्र, मंदागिनी, कब्जियत, बवासीर, सिर दर्द, काम में चित्त न लगना, स्नायु दुर्बल्या, हर प्रकार की कमजोरी, बुढ़ापे की शिथिलता आदि रोग नष्ट होकर वीर्य, बल और कांति और शक्ति को बढ़ाता है । प्रसूता स्त्रियों की कमजोरी इससे बहुत शीघ्र दूर हो जाती है। दिमाग की विकृति या कमजोरी दूर करने के लिए प्रात: और सायं काल अभ्रक भस्म के साथ इसे सेवन करना चाहिए। दिमागी मेहनत करने वालो को यह आसव हमेशा सेवन करना चाहिए। यह मानसिक थकावट को दूर करता है और स्नायुयो में एक तरह की स्फूर्ति पैदा कर दिमाग को तरो ताजा बना देता है।अत्येव, थकावट नही मालूम होती है।                    डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

कनकासव के फायदे

मात्रा - 15ml-30ml उपयोग- इसके सेवन से श्वास,काश, यक्ष्मा, उर: क्षत, क्षय, पुराना ज्वर, रक्त पित्त आदि शांत हो जाते है। श्वास काश की उग्र अवस्था में इसका उपयोग अधिकतर किया जाता है क्योंकि श्वासनालिका की श्लैश्मिक त्वचा को शिथिल करके दमे की पीड़ा को दूर करता है। इसलिए श्वसन नलिका में संकोच विकास प्रधान रोगों मे इसका प्रयोग विशेषतया सफल होता है  श्वास नली की सूजन, दमा और फेफड़ों के रोगों में इसका उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है। इससे कफ ढीला होकर गिरने लगता है।श्वास नली की संकुचित होने की शक्ति कम हो जाती है और दमे का वेग बंद हो जाता है। (आ. सा. सं)                        डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

Ciprofloxacin use

  संवर्ग - फ्लोरोक्वीनोलोन। यह अत्यधिक प्रभावशाली जीवाणु नाशक क्विनोलोन है। उपयोग - विषम ज्वर (typhoid),मूत्र मार्गसंक्रमण (UTI), गोनोरिया, गैस्ट्रो एंट्राइटिस,घाव,स्त्री रोग से संबंधित संक्रमण, हड्डी व कोमल ऊतकों का संक्रमण , श्वसन संक्रमण में अन्य प्रतिजीवाणु के साथ इसे दिया जाता है। सैप्टिक ग्राम निगेटिव सैप्टिसिमिया में सिफेलोस्पोरिन के साथ इसे दिया जाता है। मस्तिष्क ज्वर, रोगरोधक चिकित्सा, कैंसर, ल्यूकोपीनिया और अन्य में जहां रोग रोधक क्षमता कम हो। निषेध - दो साल से कम आयु के बच्चों मे, गर्भावस्था, दुग्धावस्था, हाइपरसेंसिटिविटी। मात्रा - वयस्क -250mg-500mg दो बार नित्य। बच्चे -5mg-15mg/kg Inj. वयस्क -200mg-400mg दो बार बच्चे -5mg-10mg/kg विशेष सावधानी- बच्चों में यह औषधि तभी देना चाहिए जब उससे होने वाले लाभ औषधि के दुष्प्रभाव से बहुत अधिक हो। इसके अतिरिक्त वृक्क विकार,मिर्गी का प्रमाण, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार, 60वर्ष से ऊपर बहुत सावधानी के साथ दे। दुष्प्रभाव - मितली,पेट दर्द, सिर चकराना,सिर दर्द, कम्पन, उलझन, मिर्गी, फुंसी, दृष्टि धूमिलता, जोड़ों में दर्द, मस्तिष्क क

उसीरासव के फायदे

 इसके सेवन से आंख, कान, नाक, मल मूत्र द्वार से होने वाले रक्तस्राव, खूनी बवासीर, स्वप्न दोष, पेशाब में धात जाना, मूत्रकृच्छ , मूत्रघात, उष्ण वात प्रमेह, स्त्रियों के रोग, मासिक धर्म या प्रसव के बाद अधिक रक्त स्राव होना, गर्भाशय दोष आदि में लाभ प्रद होता है। शुक्र विकार में इसके साथ चंद्रप्रभा वटी का प्रयोग करना बहुत ही लाभप्रद होता है। यह सौम्य होने से गर्भिणी को भी दिया जा सकता है। किसी भी प्रकार के रक्त स्राव में विशेष लाभ प्रद है। और अधिक दवाओं के बारे में जानने के लिए हमारे ब्लॉग को जरूर देखें।                   Dr.Divakar Pandey 

शिलाजीत के फायदे

 #शिलाजीत- शिलाजीत एक गाढ़ा भूरे रंग का, चिपचिपा पदार्थ है जो मुख्य रूप से हिमालय की चट्टानों से पाया जाता है। इसका रंग सफेद से लेकर गाढ़ा भूरा के बीच कुछ भी हो सकता है (अधिकांशतः गाढ़ा भूरा होता है।) शिलाजीत का उपयोग आमतौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की है जहाँ इसे बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत के प्रयोग किये जाते है। यह बहुत  प्रभावी और सुरक्षित है, जो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य  पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। शिलाजीत कम टेस्टोस्टेरोन (Low testosterone), भूलने की बीमारी (अल्जाइमर), क्रोनिक थकान , आयरन की कमी से होने वाला रक्ताल्पता, पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी  (पुरुष बांझपन /Male infertility), हृदय के लिए लाभदायक है । शुद्ध शिलाजीत के गुण- शिलाजीत में स्नेह और लवण होने वातनाशक, सर गुण होने से पित्त नाशक, तीक्ष्ण गुण होने से कफ और मेदा नाशक, चरपरी और तीक्ष्ण गुण हेतु से दीपन, कड़वा रस होने से रक्तविकार नाशक, चरपरा, तीक्ष्ण, उष्ण गुण होने से कृमि नाशक होता है। शिलाजीत स्निध होने से पौष्