कनकासव के फायदे

मात्रा -

15ml-30ml

उपयोग-

इसके सेवन से श्वास,काश, यक्ष्मा, उर: क्षत, क्षय, पुराना ज्वर, रक्त पित्त आदि शांत हो जाते है।

श्वास काश की उग्र अवस्था में इसका उपयोग अधिकतर किया जाता है क्योंकि श्वासनालिका की श्लैश्मिक त्वचा को शिथिल करके दमे की पीड़ा को दूर करता है।

इसलिए श्वसन नलिका में संकोच विकास प्रधान रोगों मे इसका प्रयोग विशेषतया सफल होता है 

श्वास नली की सूजन, दमा और फेफड़ों के रोगों में इसका उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है।

इससे कफ ढीला होकर गिरने लगता है।श्वास नली की संकुचित होने की शक्ति कम हो जाती है और दमे का वेग बंद हो जाता है।(आ. सा. सं)

                      डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

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