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Kidney related problems

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 Nowadays there are many people who have problems like excessive urination, loss of protein from the urine, increased creatinine, kidney not working properly, frequent urination, more urination at night than during the day.So people get very nervous, why not even worry about kidney.But getting panicked and getting dialysis is not the only solution.Some people are unable to do dialysis time to time due to lack of money.By the end of the day, the functioning of the kidney stops forever.So before doing dialysis, you must adopt Ayurveda once.And get rid of your kidney disease forever because Ayurveda is the only method that can treat complex to complex diseases.Join us for more information and get rid of all your problems. If you have any kind of kidney related problem then contact Sharda Ayurvedic Clinic for immediate solution. Dr. Divakar Pandey General physician 

स्टैमिना बढ़ाने की अचूक दवा

  यह चूर्ण बल वीर्य वर्धक और कामोत्तेजक है। शुक्र की निर्बलता से स्त्री प्रसंग के समय शुक्र क्षरण बहुत शीघ्र हो जाने पर स्त्री पुरुष वास्तविक आनंद से वंचित रह जाते हैं। इसके लिए कई बार तो विषाक्त दवाओं का भी लोग उपयोग कर बैठते है। जिससे नुकसान के सिवाय कोई लाभ नहीं मिलता है। यह चूर्ण निर्विष होते हुए रोगों को दूर कर वास्तविक आनंद प्रदान करता है। रात को सोने से एक घंटे पहले इसका प्रयोग मिश्री मिला गर्म दूध के साथ करना चाहिए। साथ ही वीर्य के पतलापन को भी दूर करता है और शुक्र को गाढ़ा बनाता है। कुछ दिन लगातार इस  गोक्षुरादि चूर्ण का  सेवन कर लेने पर समूल रोग नष्ट हो जाते है और कांति प्राप्त होती है। सुबह शाम गर्म दूध के साथ सेवन करें। खट्टे का पूर्णतः परहेज करें।                     डॉ. दिवाकर पाण्डेय                   शारदा आयुर्वेदिक क्लिनिक                     Mo.7379342286

स्पर्म बढ़ाने की दवा

 इसके सेवन से शुक्र विकार, स्वप्न दोष,धात गिरना, शीघ्र पतन आदि समाप्त हो जाती है। इस चूर्ण का प्रयोग धातु का पतलापन दूर कर उसको गाढ़ा करने में किया जाता है। स्वप्न दोष,अति स्त्री प्रसंग,या अप्राकृतिक ढंग से शुक्र का नाश करने से वीर्य पतला हो जाता है वीर्य पतला हो जाने से मनुष्य सांसारिक सुख भोग आदि से वंचित रह जाता है ऐसे मनुष्य का जीवन बेकार सा प्रतीत होने लगता है। अतः अपने जीवन को आनंद के साथ बिताना और अपने शरीर को बलिष्ठ और सुंदर बनाना चाहे तो इस " कामदेव चूर्ण " का प्रयोग कर सकते है। इससे स्टैमिना भी वीर्य गाढ़ा हो कर बढ़ जाती है। मात्रा- 3 ग्रा से 6 ग्रा तक सुबह- शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। अचूक लाभ प्राप्त होगा। ऐसी अचूक दवा के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी प्रत्येक दिन की पोस्ट जरूर देखें।                    डॉ. दिवाकर पाण्डेय                 शारदा आयुर्वेदिक क्लिनिक                   Mo.7379342286

चित्रकादि चूर्ण के फायदे

 मात्रा- 3माशा-6माशा गुण और उपयोग - इस चूर्ण के सेवन से सर्वांग शूल, उदरशूल,सफेद आमांश, अरुचि, मंदाग्नि,पेट में वायु का इकट्ठा होना, संग्रहणी, गुल्म, प्लीहा,आदि रोग नष्ट हो जाते हैं। यह दीपन,पाचन, अग्निवर्धक है। आमवात, मंदाग्नि,और उदरशूल में विशेष गुणकारी है। सुबह-शाम आवश्यकता होने पर भोजन के बाद भी गर्म जल से या छाछ के साथ देना चाहिए।                       डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

अश्वगंधारिष्टा के फायदे

 मात्रा-15ml-30ml उपयोग - इसके सेवन से मुर्क्षा, स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग,दिल की धड़कन, बेचैनी, चित्त की घबड़ाहट,चित्त भ्रम, यादाश्त की कमी, बहुमूत्र, मंदागिनी, कब्जियत, बवासीर, सिर दर्द, काम में चित्त न लगना, स्नायु दुर्बल्या, हर प्रकार की कमजोरी, बुढ़ापे की शिथिलता आदि रोग नष्ट होकर वीर्य, बल और कांति और शक्ति को बढ़ाता है । प्रसूता स्त्रियों की कमजोरी इससे बहुत शीघ्र दूर हो जाती है। दिमाग की विकृति या कमजोरी दूर करने के लिए प्रात: और सायं काल अभ्रक भस्म के साथ इसे सेवन करना चाहिए। दिमागी मेहनत करने वालो को यह आसव हमेशा सेवन करना चाहिए। यह मानसिक थकावट को दूर करता है और स्नायुयो में एक तरह की स्फूर्ति पैदा कर दिमाग को तरो ताजा बना देता है।अत्येव, थकावट नही मालूम होती है।                    डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

कनकासव के फायदे

मात्रा - 15ml-30ml उपयोग- इसके सेवन से श्वास,काश, यक्ष्मा, उर: क्षत, क्षय, पुराना ज्वर, रक्त पित्त आदि शांत हो जाते है। श्वास काश की उग्र अवस्था में इसका उपयोग अधिकतर किया जाता है क्योंकि श्वासनालिका की श्लैश्मिक त्वचा को शिथिल करके दमे की पीड़ा को दूर करता है। इसलिए श्वसन नलिका में संकोच विकास प्रधान रोगों मे इसका प्रयोग विशेषतया सफल होता है  श्वास नली की सूजन, दमा और फेफड़ों के रोगों में इसका उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है। इससे कफ ढीला होकर गिरने लगता है।श्वास नली की संकुचित होने की शक्ति कम हो जाती है और दमे का वेग बंद हो जाता है। (आ. सा. सं)                        डॉ. दिवाकर पाण्डेय 

Ciprofloxacin use

  संवर्ग - फ्लोरोक्वीनोलोन। यह अत्यधिक प्रभावशाली जीवाणु नाशक क्विनोलोन है। उपयोग - विषम ज्वर (typhoid),मूत्र मार्गसंक्रमण (UTI), गोनोरिया, गैस्ट्रो एंट्राइटिस,घाव,स्त्री रोग से संबंधित संक्रमण, हड्डी व कोमल ऊतकों का संक्रमण , श्वसन संक्रमण में अन्य प्रतिजीवाणु के साथ इसे दिया जाता है। सैप्टिक ग्राम निगेटिव सैप्टिसिमिया में सिफेलोस्पोरिन के साथ इसे दिया जाता है। मस्तिष्क ज्वर, रोगरोधक चिकित्सा, कैंसर, ल्यूकोपीनिया और अन्य में जहां रोग रोधक क्षमता कम हो। निषेध - दो साल से कम आयु के बच्चों मे, गर्भावस्था, दुग्धावस्था, हाइपरसेंसिटिविटी। मात्रा - वयस्क -250mg-500mg दो बार नित्य। बच्चे -5mg-15mg/kg Inj. वयस्क -200mg-400mg दो बार बच्चे -5mg-10mg/kg विशेष सावधानी- बच्चों में यह औषधि तभी देना चाहिए जब उससे होने वाले लाभ औषधि के दुष्प्रभाव से बहुत अधिक हो। इसके अतिरिक्त वृक्क विकार,मिर्गी का प्रमाण, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी विकार, 60वर्ष से ऊपर बहुत सावधानी के साथ दे। दुष्प्रभाव - मितली,पेट दर्द, सिर चकराना,सिर दर्द, कम्पन, उलझन, मिर्गी, फुंसी, दृष्टि धूमिलता, जोड़ों में दर्द, मस्तिष्क क